Thursday, July 21, 2022

चीन में लोगों के खिलाफ बैंकों के बाहर टैंक तैनात



चीन में लोगों के खिलाफ बैंकों के बाहर टैंक तैनात:थियानमेन स्क्वायर की यादें ताजा, जब चीन ने अपने ही 10 हजार लोगों को मारा था


चीन में कई बैंकों से पैसे निकालने पर रोक लगा दी गई है। बैंक ऑफ चाइना ने कहा है कि यहां जमा पैसा एक निवेश है। इसे निकाला नहीं जा सकता। इस फैसले के खिलाफ चीन में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने भारी संख्या में सेना के टैंकों को सड़कों पर उतार दिया है।

इस घटना ने पूरी दुनिया को फिर से थियानमेन स्क्वायर की याद दिला दी है। 33 साल पहले 1989 में सरकार के खिलाफ बीजिंग के थियानमेन स्क्वायर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ भी टैंक उतारे गए थे। इस क्रूर कार्रवाई में 10 हजार लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर छात्र थे। अब इसे थियानमेन 2.0 कहा जा रहा है।

इस एक्सप्लेनर में जानते हैं कि आखिर चीन ने अभी क्यों उतारा अपने ही नागरिकों के खिलाफ टैंक? क्या है थियानमेन नरसंहार की कहानी, जिसमें 10 हजार लोग मारे गए थे?

थियानमेन 2.0: चीन ने अपने ही लोगों के खिलाफ उतारे टैंक

चीन के हेनान प्रांत में पिछले कई हफ्तों से पुलिस और बैंक में पैसा जमा करने वाले लोगों के बीच झड़प जारी है। लोगों का कहना है कि अप्रैल 2022 से ही उन्हें अपनी सेविंग्स निकालने से रोका जा रहा है। इन विरोध प्रदर्शनों के बीच चीनी लिबरेशन आर्मी के टैकों की फोटो-वीडियो सोशल मीडिया वायरल हो रही हैं। इसे प्रदर्शनकारियों को डराने के लिए लगाया गया है।

चीनी बैंकों ने लोगों के पैसों को निवेश बता लौटने से किया मना, भड़के लोग सड़कों पर उतरे


हाल ही में बैंक ऑफ चाइना की हेनान ब्रांच ने घोषणा की थी कि उनके ब्रांच में पैसा जमा कराने वालों की सेविंग्स 'इंवेस्टमेंट' हैं और उन्हें निकाला नहीं जा सकता है। इस घोषणा के बाद लोगों का प्रदर्शन और उग्र हो गया है। 10 जुलाई को हेनान के झोंगझोऊ में बैंक ऑफ चाइन की ब्रांच के सामने 1000 से ज्यादा प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए थे और जोरदार प्रदर्शन किया था, लेकिन अब तक चीनी अधिकारी उनकी मांगों को अनसुना करते आए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हेनान में बैंक ऑफ चाइना के ऑफिस के सामने हो रहे भारी विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए चीनी पीपुल्स आर्म्ड पुलिस फोर्स के कुछ लोग सफेद कपड़ों में पहुंचे थे।

तस्वीर में चीन के हेनान प्रांत की सड़कों से गुजरते चीनी सेना के टैंक। टैंकों को सड़कों पर इसलिए उतारा गया है ताकि लोग बैंकों तक न पहुंच पाएं। हेनान प्रांत की राजधानी झेंगझोऊ में प्रदर्शन के हिंसक होने के बाद अथॉरिटीज ने कहा कि वे बैंकों से लोगों के फंड को किश्तों में रिलीज करेंगे। हेनान में कई रूरल बैंकों ने लोगों के पैसों को कई महीनों से रोक रखा है।15 जुलाई को बैंकों को वादे के मुताबिक, लोगों को पहली किश्त देनी थी, लेकिन केवल कुछ ही लोगों को पैसे मिल पाए हैं। इससे ये सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या चीनी बैंकों के पास देने के लिए पैसा ही नहीं बचा है। यानी चीनी बैंक दिवालिया हो गए हैं।


आखिर क्यों लोगों के पैसे नहीं लौटा रहे हैं चीनी बैंक?

चीन में स्थानीय सरकारों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा जमीन को खासतौर पर रियल एस्टटे डेवलेपर्स को लीज पर देने से आता है, लेकिन कई प्रोजेक्ट्स के अधूरे पड़े होने से कंस्ट्रक्शन कंपनियों ने फिर से जमीन नहीं खरीदी हैं। इससे स्थानीय सरकार की कमाई पर असर पड़ा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन में घर खरीदारों के लोन न चुकाने की समस्या से तुरंत इसलिए नहीं निपटा जा रहा है क्योंकि रियल एस्टेट के सीनियर अधिकारियों को छोड़ दिया जाए तो चीन में हर सफल रियल एस्टेट डेवलेपर राष्ट्रपति शी जिनपिंग की चीनी कम्युनिस्ट पार्टी यानी CPC के कुछ ताकतवर लोगों से जुड़ा है। जैसे-चीन के सबसे बड़े प्रॉपर्टी डेवलेपर एवरग्रांडे के शी जियायिन, और CPC राजनेता झेंग क्विंगहोंग की भतीती झेंग बाओबाओ पैसे बनाने के लिए सीधे तौर पर रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े रहे हैं। साधारण रियल एस्टेट डेवलेपर्स को भी अपने कामों को पूरा कराने के बदले में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देनी पड़ती है। ऐसे में अगर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेता अधूरे प्रोजेक्ट्स और रियल एस्टेट में करप्शन की जांच करना चाहते हैं, तो उन्हें अपनों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी पड़ेगी।

चीनी प्रोफेसर का दावा, 2022 का साल चीन की अर्थव्यवस्था के लिए सबसे खराब


कुछ ही दिनों पहले ऑनलाइन वायरल हुए एक वीडियो में बीजिंग की सिंघुआ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर झेंग युहुआंग ने कहा था कि 2022 चीन के लिए मुश्किल साल है। झेंग के अनुसार 2022 के पहले क्वॉर्टर में चीन में 4.60 लाख कंपनियां बंद हो चुकी हैं और 31 लाख बिजनेस परिवार दिवालिया हो गए हैं। इस साल 1.76 करोड़ कॉलेज ग्रैजुएट निकले हैं, जिससे नौकरियों का संकट पैदा हो गया है। चीन में करीब 8 करोड़ युवा बेरोजगार हैं।

                 

Wednesday, July 20, 2022

इनकम टैक्स छूट लेने का तरीका



बच्चों की पढ़ाई के खर्च और एजुकेशन लोन पर भी ले सकते हैं टैक्स छूट, यहां जानें कितना मिलेगा फायदा


वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इस 31 जुलाई तक इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना है। ITR फाइल करने से पहले आपको अपनी कुल टैक्सेबल इनकम का पता होना बहुत जरूरी है। सरकार आपकी टैक्सेबल इनकम पर कई तरह की रिबेट या छूट देती है। इनकी जानकारी होने पर आप इसका सही इस्तेमाल करके टैक्स बचा सकते हैं। इसी तरह की छूट बच्चों की पढ़ाई के खर्च या उनके लिए एजुकेशन लोन के लिए चुकाए गए ब्याज पर भी मिलती हैं। हम आपको इन्हीं टैक्स छूट के बारे में बता रहे हैं....

पढ़ाई पर हुए खर्च पर 1.5 लाख की टैक्स छूट
आप दो बच्चों की पढ़ाई पर हुए खर्च के लिए इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपए तक टैक्स छूट ले सकते हैं। वहीं अगर आपके दो से ज्यादा बच्चे हैं, तो आप कोई भी दो बच्चों के लिए यह दावा कर सकते हैं। फुल टाइम एजुकेशन के लिए किए गए खर्च पर ही आप ये छूट ले सकते हैं। इसके अलावा यह छूट सिर्फ ट्यूशन फीस के लिए ही है।

एजुकेशन​​​​​​​ लोन के ब्याज पर भी टैक्स छूट का फायदा
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80E के तहत एजुकेशन लोन पर चुकाए गए ब्याज पर टैक्स छूट का फायदा ले सकते हैं। इस छूट का फायदा तभी मिलेगा जब लोन किसी महिला या उसके पति या बच्चों द्वारा हायर एजुकेशन (भारत या विदेश में) के लिए बैंक या वित्तीय संस्थान से लिया गया हो। इस छूट का दावा उस वर्ष से शुरू कर सकता है जिसमें लोन चुकाना शुरू हो जाता है और अगले 7 सालों तक या लोन चुकाने से पहले, जो भी पहले हो, तब तक लिया जा सकता है।

अधिकतम टैक्स छूट की कोई सीमा नहीं
अगर आपके 2 बच्चे हैं और आपने दोनों के लिए एजुकेशन लोन लिया है तो आप सेक्शन 80E के तहत दोनों के लोन के लिए चुकाए गए ब्याज पर टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं। इसमें अधिकतम टैक्स छूट की कोई सीमा नहीं है।

इसे उदाहरण से समझें




मान लीजिए कि आपकी बेटी के लिए आपने पहले से एजुकेशन लोन ले रखा है और उस पर लग रहे सालाना ब्याज पर टैक्स छूट का लाभ आप ले रहे हैं। अब आप अपने बेटे की पढ़ाई के लिए भी एजुकेशन लोन ले रहे हैं तो इस पर भी आप टैक्स छूट का फायदा ले सकते हैं।

अगर दोनों के लिए आपने 10% ब्याज पर 5-5 लाख का लोन लिया है, तो कुल 10 लाख रुपए का सालाना ब्याज 1 लाख रुपए बनता है। आपको इस पूरे 1 लाख के ब्याज पर टैक्‍स छूट का फायदा मिलेगा। यानी आपकी कुल टैक्सेबल इनकम में से 1 लाख रुपए माइनस हो जाएंगे।

पुराने टैक्स स्लैब चुनने पर ही मिलेगा फायदा
ITR फाइल करने के 2 ऑप्शन मिलते हैं। 1 अप्रैल, 2020 को नया ऑप्शन दिया गया था। नए टैक्स स्लैब में 5 लाख रुपए से ज्यादा आय पर टैक्स की दरें तो कम रखी गईं, लेकिन डिडक्शन छीन लिए गए। वहीं अगर आप पुराना टैक्स स्लैब चुनते हैं तभी आप इस टैक्स डिडक्शन का फायदा ले सकेंगे।



ये है इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की प्रोसेस

  1. सबसे पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ऑफिशियल साइट incometax.gov.in पर जाएं।
  2. उसके बाद अपना यूजर आईडी भरें और फिर Continue पर क्लिक करें, जिसके बाद अपना पासवर्ड डालें और लॉगिन करें। अगर पासवर्ड याद नहीं है तो Forgot Password के जरिए नया पासवर्ड बना सकते हैं।
  3. लॉगिन करने के बाद के एक पेज ओपन होगा, जहां आप e-file पर क्लिक करें। उसके बाद File Income Tax Return ऑप्शन को सिलेक्ट करें।
  4. जिसके बाद असेसमेंट ईयर 2021-22 को सिलेक्ट करें और फिर continue करें।
  5. इसके बाद आपको Online और Offline के लिए ऑप्‍शन मिलेगा। इसमें आप Online को सिलेक्ट करें और 'पर्सनल' ऑप्‍शन को चुनें।
  6. फिर आप ITR-1 या ITR-4 में से किसी एक ऑप्शन को चुनें और continue करें।
  7. अगर आप सैलरीड हैं तो फिर ITR-1 को सिलेक्ट करें। उसके बाद आपके सिस्टम पर फॉर्म डाउनलोड हो जाएगा। फिर 'Filling Type' में जाकर 139(1)- Original Return सिलेक्ट करें।
  8. इसके बाद आपके सामने सिलेक्ट किया गया फॉर्म खुल जाएगा, जिसमें सभी मांगी गई जानकारियां भरें और सेव करते रहें। इसमें बैंक खाते की डिटेल सही से भरें।
  9. अगर आप ऊपर OFFLINE मोड सिलेक्ट करते हैं तो फिर डाउनलोड फॉर्म में सभी जानकारियां भरने के बाद आपको Attach File का ऑप्शन नजर आएगा, जहां अपने फॉर्म को अटैच करें।
  10. फाइल को अटैच करने के बाद, साइट फाइल को वैलिडेट यानी सत्यापित कर देगी और वैलिडेशन के बाद “Proceed To Verification” पर क्लिक करें।
  11. इस तरह से कुछ ही मिनटों के भीतर आपका रिटर्न फाइल हो जाएगा और अब आप अपने रिटर्न को वैरिफाई करने के लिए E-Verification कर सकते हैं।


 

Tuesday, July 19, 2022

क्या भारत में बादल फटने के पीछे चीनी साजिश:

 



क्या भारत में बादल फटने के पीछे चीनी साजिश:ड्रैगन बिन मौसम बारिश कराने में माहिर, 8 सवालों में जानें पूरा मामला

एक मिनट पहलेलेखक: अभिषेक पाण्डेय / नीरज सिंह
17 जुलाई 2022: तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने कहा कि भारत में बादल फटने की घटनाओं के पीछे विदेशी ताकतों की साजिश है। पहले भी उन्होंने लेह-लद्दाख और उत्तराखंड में यही किया था।


8 जुलाई 2022: जम्मू-कश्मीर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने से आई बाढ़ में 16 लोगों की मौत हो गई, जबकि 40 अभी भी लापता हैं।


जुलाई-अगस्त 2008: तब चीन की राजधानी बीजिंग में ओलिंपिक चल रहा था। मौसम विभाग ने मैच के दिन बारिश की आशंका जाहिर की। इससे बचने के लिए चीन ने मैच के एक दिन पहले ही कृत्रिम बारिश, यानी आर्टिफिशियल रेन करवा ली थी।


1967-1972: वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका ने ऑपरेशन पोपोय चलाया था। अमेरिकी सेना ने वियतनाम में क्लाउड सीडिंग के जरिए अपनी मर्जी से बारिश कराते हुए दुश्मन सेना को भारी नुकसान पहुंचाया था।


इधर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के बयान पर भारत में नई बहस छिड़ गई है। सोशल मीडिया में एक तबका इसका मजाक उड़ा रहा है, तो वहीं एक तबका ऐसा भी है, जो इसे गंभीर मानकर इस पर चर्चा कर रहा है।


सवाल 1: सबसे पहले जानते हैं कि केसीआर ने क्यों बारिश को लेकर विदेशी साजिश की बात कही?


भारी बारिश की वजह से तेलंगाना का गोदावरी इलाका इन दिनों बाढ़ से जूझ रहा है। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, यानी केसीआर 17 जुलाई को बाढ़ प्रभावित भद्राचलम के दौरे पर गए थे। वहां उन्होंने गोदावरी इलाके में भारी बारिश और बाढ़ के लिए बादल फटने को वजह बताते हुए कहा कि इसके पीछे विदेशी साजिश हो सकती है।


राव ने कहा, 'ये एक नई घटना है, जिसे बादल फटना कहते हैं। लोग कहते हैं कि इसमें कुछ साजिश है, हम नहीं जानते कि ये कितना सच है, कहा जाता है कि विदेशी जानबूझकर हमारे देश में कुछ जगहों पर बादल फटने की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। लेह-लद्दाख और उत्तराखंड में भी पहले वे ऐसा कर चुके हैं


सवाल 2 : अब जानते हैं कि ये बादल फटना क्या होता है?


छोटे से इलाके में बहुत कम समय में बहुत ज्यादा बारिश होने को बादल फटना कहते हैं।


इसमें बादल फटने जैसा कुछ नहीं होता। हां, ऐसी बारिश इतनी तेज होती है जैसे बहुत सारे पानी से भरी एक बहुत बड़ी पॉलीथिन आसमान में फट गई हो। इसलिए इसे हिंदी में बादल फटना और अंग्रेजी में cloudburst के नाम से पुकारा जाता है।


अब बादल फटने को गणित से समझते हैं। मौसम विभाग के मुताबिक जब अचानक 20 से 30 वर्ग किलोमीटर के इलाके में एक घंटे या उससे कम समय में 100mm या उससे ज्यादा बारिश हो जाए तो इसे बादल फटना कहते हैं।


इसके लिए सबसे पहले 1mm बारिश का मतलब समझते हैं। देखिए, 1mm बारिश होने का मतलब है कि 1 मीटर लंबे और 1 मीटर चौड़े यानी 1 वर्ग मीटर इलाके में 1 लीटर पानी बरसना। अब इस गणित को बादल फटने की परिभाषा पर फिट कर दें तो जब भी 1 मीटर लंबे और 1 मीटर चौड़े इलाके में 100 लीटर या उससे ज्यादा पानी बरस जाए, वो भी एक घंटे या उससे भी कम समय में, तो समझिए कि इस इलाके पर बादल फट गया।


बस 100 लीटर! यूं, तो आपको गणित बहुत छोटा लग रहा होगा। इसकी भयावहता का अंदाजा लगाने के लिए अगर इस गणित को 1 वर्ग मीटर के बजाय 1 वर्ग किलोमीटर के इलाके में फिट कर दें तो, जब भी 1 वर्ग किलोमीटर इलाके में एक घंटे से कम समय में 10 करोड़ लीटर पानी बरस जाए तो समझिए वहां बादल फट गया। 


सवाल 3 : क्या भारत में बाढ़ आने के पीछे चीन की साजिश है?

1970 से 2016 यानी इन 46 सालों में देश में बादल फटने की 30 से ज्यादा घटनाएं हुईं। ये सभी घटनाएं हिमालय के क्षेत्र में हुईं। जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में बादल फटने के बाद भारी बारिश से कई बार बाढ़ आ चुकी है।

2013 में उत्तराखंड में बादल फटने के कारण अचानक आई बाढ़ से केदारनाथ में आपदा आई थी। इस दौरान 5 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। वहीं असम में हर साल बारिश और बाढ़ से सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है।

चूंकि बादल फटने की ज्यादातर घटनाएं भारत-चीन के बॉर्डर वाले इलाकों में होती हैं। ऐसे में इसके पीछे चीन की साजिश होने की आशंका जताई जा रही है। चीन और भारत के बीच कई सालों से सीमा विवाद चल रहा है।

चीनी सेना समय-समय पर बॉर्डर पर उकसाने वाली कार्रवाई करती रहती है। ऐसे में कई लोग संदेह जता रहे हैं कि चीन बादल फटने की साजिश रच रहा है और बारिश और बाढ़ से भारत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है।

  • चंद्रशेखर के तेलंगाना में बाढ़ के पीछे चीन की साजिश की बात में कितना दम है?
  • इस दावे के सही होने की संभावना काफी कम है, क्योंकि तेलंगाना चीन बॉर्डर से 3 हजार किलोमीटर से ज्यादा दूर है। साथ ही तेलंगाना हिमालय क्षेत्र में भी नहीं आता है, जहां पिछले 46 सालों में 30 से ज्यादा बादल फटने की घटनाएं हुई हैं।
  • ऐसे में माना जा रहा है कि चंद्रशेखर का चीनी साजिश का बयान चुनावी शिगूफा है और वह इस बयान से तेलंगाना में बाढ़ से जुड़े मुद्दे से ध्यान भटकाना चाहते हैं।

सवाल 4 : कितने देशों में है आर्टिफिशियल रेन कराने की टेक्नोलॉजी?

भारत, चीन, अमेरिका समेत दुनिया के 60 देश कृत्रिम बारिश या आर्टिफिशियल रेन कराने की टेक्नोलॉजी विकसित कर चुके हैं।

कृत्रिम बारिश कराने की तकनीकि को क्लाउड सीडिंग या वेदर कंट्रोल टेक्नोलॉजी कहते हैं। क्लाउड सीडिंग के जरिए जब चाहे या फिर समय से पहले बारिश कराई जा सकती है। चीन इस टेक्निक में महारत हासिल कर चुका है और कई बार इसका इस्तेमाल कर चुका है।

चीन 2008 का ओलिंपिक बिना बारिश की रुकावट के कराने में सफल रहा था
बीजिंग में 2008 में हुए ओलिंपिक खेलों के दौरान चीन ने वेदर मॉडिफिकेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके जिन शहरों में ओलिंपिक के मैच होने वाले थे, वहां एक दिन पहले ही बारिश करा दी थी। इससे अगले दिन आसमान साफ हो जाता था और बारिश नहीं होती थी। इस टेक्नोलॉजी की मदद से चीन बीजिंग ओलिंपिक 2008 का आयोजन बिना बारिश की रुकावट के करा पाया था।
सवाल 5 : आखिर क्लाउड सीडिंग क्या होती है?

आर्टिफिशियल तरीके से बादलों को बारिश में बदलने की टेक्निक को हम क्लाउड सीडिंग कहते हैं।

क्लाउड सीडिंग के लिए सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड और ड्राई आइस (सॉलिड कॉबर्न डाइऑक्साइड) जैसे रसायनों को हेलिकॉप्टर या प्लेन के जरिए आसमान में बादलों के करीब बिखेर दिया जाता है। ये पार्टिकल हवा में भाप को आकर्षित करते हैं, जिससे तूफानी बादल (cumulonimbus cloud) बनते हैं और अंत में बारिश होती है।

इस तरीके से बारिश होने में अमूमन आधा घंटा लगता है।

सवाल 6: आमतौर पर इस टेक्नीक का क्या इस्तेमाल है?

ये टेक्निक अक्सर सूखा प्रभावित इलाकों या वायु प्रदूषण से निपटने के लिए इस्तेमाल होती है। कई बार क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल कुछ एयरपोर्ट के आसपास कोहरे को खत्म करने में भी किया जाता है। बीजिंग ओलिंपिक इसका एक बड़ा उदाहरण है, जहां चीन ने बीजिंग में क्लाउड सीडिंग के जरिए बादलों को बारिश में बदलते हुए एक दिन पहले ही बारिश करवा ली थी।

क्लाउड सीडिंग के दो प्रमुख उद्देश्य होते हैं- या तो मर्जी से बारिश या बर्फबारी को बढ़ाना या किसी खास जगह पर एक-दो दिन पहले ही बारिश करा लेना।

सवाल 7: पहली बार क्लाउड सीडिंग टेक्नीक का इस्तेमाल कब हुआ था?

इसका पहला सफल प्रयोग 1946 में अमेरिकी वैज्ञानिक विंसेंट जे शेफर ने किया था। इसके बाद विमान, रॉकेट, तोपों और ग्राउंड जनरेटर से क्लाउड सीडिंग की जाती रही है।

सवाल 8: क्या क्लाउड सीडिंग से बादल फट सकते हैं?

देखिए, बहुत तेज बारिश होने और बादल फटने में कोई खास अंतर नहीं होता है, जब एक निश्चित जगह पर एक निश्चित समय में बहुत ज्यादा बारिश हो जाती है, तो उसे हम बादल फटना कहते हैं। बादल फटना बादलों पर डिपेंड करता है। अगर ऐसे में बहुत ज्यादा भाप से भरे बादलों की पहचान करके उसमें क्लाउड सीडिंग करा दें, तो बादल फट सकते हैं।

अमेरिका ने क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल वियतनाम के खिलाफ युद्ध में किया था

अमेरिका ने 1967 से 1972 के बीच वियतनाम युद्ध के दौरान क्लाउड सीडिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया था। अमेरिका ने ‘ऑपरेशन पोपोय’ चलाते हुए ऐसा वियतनाम पर बढ़त बनाने के लिए किया था। हालांकि इस बात पर अब भी एक राय नहीं है कि अमेरिका को इसमें कितनी कामयाबी मिली थी।

कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका ने वियतनाम के हो चि मिन्ह शहर पर क्लाउड सीडिंग के जरिए बादल फटने की घटना को अंजाम दिया था। इससे वहां अचानक बारिश, बाढ़ और लैंडस्लाइड की स्थिति पैदा कर दी थी। इससे वियतनाम सेना को भारी नुकसान पहुंचा था।

दुबई में 2021 में किया गया था क्लाउड सीडिंग के लिए इलेक्ट्रिक चार्ज टेक्नीक का इस्तेमाल

जुलाई 2021 में दुबई में जब तापमान 50 डिग्री तक पहुंच गया तो गर्मी से राहत के लिए वहां क्लाउड सीडिंग कराई गई थी। इसके लिए सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड और ड्राई आइस को प्लेन और हेलिकॉप्टर्स के जरिए आसमान में बिखेर दिया गया था।

इन केमिकल के कणों ने हवा की नमी को अपनी ओर खींचा। जब पानी के सभी कण पास आ गए तो एक बड़ा तूफानी बादल बन गया। फिर ड्रोन के जरिए इस बादल को इलेक्ट्रिक चार्ज किया गया, जिससे बारिश हुई। इस प्रॉसेस से बारिश करवाने में आधे घंटे ही लगे थे।









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Monday, July 18, 2022

मोबाइल-टैब हो या कार, आपको मिलेगा राइट टु रिपेयर; 7 सवालों से समझिए


पुराने पार्ट्स न होने का बहाना नहीं बना पाएंगी कंपनियां:मोबाइल-टैब हो या कार, आपको मिलेगा राइट टु रिपेयर; 7 सवालों से समझिए

 



अभी पिछले महीने की बात है। अपने मोबाइल की रिपेयरिंग के लिए सर्विस सेंटर गया था, लेकिन कंपनी ने यह कहके रिपेयरिंग से इनकार कर दिया कि आपका फोन पुराना हो गया है, अब इसके पार्ट्स बनना बंद हो गए हैं। मजबूरन मुझे नया फोन लेना पड़ा।


यह परेशानी सिर्फ मेरी नहीं है। ज्यादातर लोगों को इस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, लेकिन केंद्र सरकार के नए कानून 'राइट टु रिपेयर' के आने के बाद बहुत हद तक इससे निजात मिलेगा। डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स ने इसके लिए एक कमेटी भी बना दी है। कानून के लागू होने बाद कंपनी ग्राहक के पुराने प्रोडक्ट्स की मरम्मत से इनकार नहीं कर पाएंगी।


सवाल 1 : राइट टु रिपेयर के तहत कौन से प्रोडक्ट आएंगे?


जवाब: राइट टु रिपेयर में मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट जैसे इलेकट्रॉनिक गैजेट्स समेत वाशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर , एसी, फर्नीचर और टेलीविजन जैसे कन्यूमर ड्यूरेबल्स शामिल होंगे।

ऑटोमोबाइल और एग्रीकल्चरल इक्विपमेंट्स यानी आपकी कार के स्पेयर पार्ट्स से लेकर किसानों के काम आने वाले उपकरण भी राइट टु रिपेयर के दायरे में आएंगे।





सवाल 2 : इस कानून से आम लोगों को क्या फायदा होगा?


जवाब: कानून लागू होने के बाद अगर किसी का मोबाइल, लैपटॉप, टैब, वाशिंग मशीन, एसी, फ्रिज, टेलीविजन, कार जैसा कोई प्रोडक्ट खराब हो जाता है, तो उस कंपनी का सर्विस सेंटर रिपेयर करने से इनकार नहीं कर सकता कि पार्ट पुराना है और उसे बनाया नहीं जा सकता। कंपनी को गैजेट का वह पार्ट बदलकर देना होगा।


नए कानून के बाद अब कंपनियों को किसी भी सामान के नए हिस्से के साथ पुराने हिस्से रखने होंगे। इसके साथ ही पुराने पुर्जों को बदलकर आपके खराब सामान को ठीक करने की जिम्मेदारी भी कंपनी की होगी।


यूजर्स कंपनी के सर्विस सेंटर के अलावा कहीं भी अपने गैजेट्स को सही करवा सकेंगे


दरअसल, कंपनियां किसी प्रोडक्ट के नए मॉडल या अपना ही कोई दूसरा प्रोडक्ट बेचने के लिए यह स्ट्रैटेजी अपनाती हैं और पुराने प्रोडक्ट की रिपेयरिंग से मना कर देती हैं।





सवाल 3 : राइट टु रिपेयर कानून लाने के पीछे मकसद क्या है?


जवाब: सरकार का इसके पीछे दो मकसद हैं। पहला- ग्राहकों को रिपेयरिंग न होने की वजह से बिना जरूरत नए प्रोडक्ट खरीदने से मुक्ति मिलेगी। दूसरा- इससे इलेक्ट्रॉनिक कचरे यानी ई-वेस्ट में भारी कमी आएगी।


सवाल 4 : लोगों को राइट टु रिपेयर मिलने के बाद कंपनियों को क्या करना होगा?


जवाब:


कंपनियों को किसी गैजेट्स से जुड़े सभी कागजात और मैनुअल यूजर्स को देने होंगे।

कंपनियों को नए के साथ पुराने प्रोडक्ट्स के पार्ट्स भी रखने होंगे।

यूजर्स कंपनी के सर्विस सेंटर के अलावा कहीं और भी अपने गैजेट्स या प्रोडक्ट को रिपेयर करवा सकें इसके लिए प्रोडक्ट के पार्ट्स बाजार में उपलब्ध कराने होंगे।


सवाल 5 : क्या राइट टु रिपेयर जैसा कानून दुनिया के और देशों में भी है?


जवाब: भारत से पहले ‘राइट टु रिपेयर’ जैसे कानून अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन के देशों में लागू हैं। हाल ही में ब्रिटेन ने एक कानून बनाकर यूजर्स को अपने गैजेट्स कंपनी के सर्विस सेंटर के अलावा किसी लोकल रिपेयरिंग शॉप पर भी सही कराने का अधिकार दिया है। ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में तो रिपेयर कैफे हैं, जहां अलग-अलग कंपनियों के एक्सपर्ट इकट्ठा होकर एक-दूसरे के साथ रिपेयरिंग स्किल शेयर करते हैं।







सवाल 6 : राइट टु रिपेयर की जरूरत क्यों पड़ी?


जवाब: दुनिया में बढ़ते ई वेस्ट को लेकर एक्सपर्ट में बहुत चिंता है। इससे निपटने के लिए कई अभियान चल रहे हैं, जिनमें से एक है 'राइट टु रिपेयर।' मामूली खराबी आने पर महंगे गैजेट्स फेंक दिए जाते हैं या फेंकने पड़ते हैं।


सवाल 7: नए कानून बनाने के मसले पर कंपनियां क्या कह रही हैं?


जवाब: कंपनियां का कहना है कि यह मसला बहुत जटिल है। तमाम प्रोडक्ट्स को हर बार रिपेयर करना संभव और सुरक्षित नहीं होगा। दूसरी तरफ विएना में एक प्रयोग में साबित हुआ कि सिर्फ रिपेयरिंग ई कचरे को काफी हद तक कम कर सकती है। 2021 में ही “राइट टु रिपेयर यूरोप” नाम के संगठन ने विएना शहर प्रशासन के साथ मिलकर एक वाउचर योजना चलाई।


इसके तहत उत्पादों को फेंकने के बजाय ठीक करवा कर दोबारा इस्तेमाल करने पर 100 यूरो का कूपन दिया गया। लोगों ने इस दौरान 26 हजार चीजें ठीक करवाईं। इस तरह विएना शहर का इलेक्ट्रॉनिक कचरा 3.75% कम हुआ।


भारत के साथ ही ज्यादातर देशों में रिपेयरिंग की ज्यादा सुविधा नहीं है या रिपयेर करना इतना मंहगा है कि लोग मौजूदा प्रोडक्ट्स को फेंककर नए प्रोडक्ट्स खरीद लेते हैं।


इसी वजह से तमाम देश गैजेट्स को ठीक यानी रिपेयर करने के प्रोसेस को आसान बनाना चाहते हैं। एक्सपर्ट कहते हैं कि कंपनियां जानबूझ कर अपने उत्पाद ऐसे बनाती हैं कि उन्हें ठीक करना मुश्किल हो या जानबूझकर स्पेयर पार्ट्स मिलना मुश्किल बना दिया जाता है।


मार्च 2021 में यूरोप ने वॉशिंग मशीन, डिश वॉशर्स, फ्रिज और टीवी स्क्रीन बनाने वाली कंपनियों को उस मॉडल का बनना बंद होने के 10 साल बाद तक स्पेयर पार्ट उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। अब सरकारें चाहती हैं कि ऐसा ही नियम फोन या अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट बनाने के लिए भी हो। जुलाई 2021 में अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमीशन ने राइट टु रिपेयर के फेवर में सर्वसम्मति से मतदान किया।

Sunday, July 17, 2022

आज से और सताएगी महंगाई:


आज से जरूरत की कई चीजें महंगी होने वाली हैं। पिछले महीने हुई बैठक में GST काउंसिल ने GST रेट बढ़ाने का फैसला लिया गया है। GST की दरें बढ़ने से दही, लस्सी, चावल और आटा समेत कई जरूरी चीजें महंगी हो जाएंगी।

डेयरी प्रोडक्ट और आटा होगा महंगा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई GST काउंसिल की बैठक में दूध के प्रोडक्ट को पहली बार GST के दायरे में शामिल करने का फैसला किया गया था। GST काउंसिल की बैठक में टेट्रा पैक वाले दही, लस्सी और बटर मिल्क पर 5% GST लगाने का फैसला किया गया। इतना ही नहीं अनब्रांडेड प्री-पैकेज्ड और प्री लेबल आटा और दाल पर भी 5% GST लगेगा।



एलईडी लाइट्स और एलईडी लैंप्स पर 18% GST
ब्लेड, पेपर कैंची, पेंसिल शार्पनर, चम्मच, कांटे वाले चम्मच, स्किमर्स और केक सर्विस आदि पर सरकार ने GST को बढ़ा दिया है। अब इस पर 18% की दर से GST वसूली जाएगी। इतना ही नहीं एलईडी लाइट्स और एलईडी लैंप्स पर भी GST 12% से बढ़ाकर 18% कर दी गई है।

इलाज कराना भी महंगा
हॉस्पिटल द्वारा 5000 रुपए प्रतिदिन से अधिक का रूम उपलब्ध कराया जाता है तो उस पर 5% की दर से GST देय होगा। इसमें आईसीयू, आईसीसीयू, एनआईसीयू, के रूम पर छूट लागू रहेगी।



होटल रूम के लिए देने होंगे ज्यादा पैसे
वर्तमान में 1000 रुपए से कम के होटल रूम पर GST नहीं लगता था, लेकिन अब ऐसे कमरे पर भी 12% की दर से GST लगेगा।

महंगा हो जाएगा बिजनेस क्लास का सफर
अरुणाचल प्रदेश, आसाम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, बागडोगरा से उड़ने वाली फ्लाइट जो अब तक कर मुक्त थी, उसमें अब केवल इकोनॉमी क्लास पर ही GST से छूट प्राप्त होगी और बिजनेस क्लास में सफर करने पर 18% की दर से GST लगेगा।

वेयर हाउस में में सामान रखना भी महंगा पड़ेगा
वेयर हाउस में ड्रायफ्रूट्स, मसाले, खोपरा, गुड़, कॉटन, जूट, तम्बाकू, तेन्दूपत्ता, चाय, कॉफी इत्यादि के स्टोरेज की सेवाएं अब तक करमुक्त थीं, उन्हें अब कर के दायरे में लाया गया है और ऐसी सेवाओं पर अब 12% की दर से GST लगेगा।

इसके अलावा कृषि उपज के स्टोरेज किए जाने पर वेयर हाउस के फ्यूमीगेशन की सेवा पर कर से छूट प्रदान थी। अब ऐसी सेवाओं पर 18% की दर से GST लगेगा।



बढ़ रहा GST कलेक्शन
GST कलेक्शन जून में बढ़कर 1.45 लाख करोड़ रुपए हो गया। एक साल पहले की तुलना में ये 56% की बढ़ोतरी है। वहीं मई के महीने में यह 1.41 लाख करोड़ रुपए था।







Saturday, July 16, 2022

हर 12-15 साल में बढ़ जाती है दुनिया की एक अरब आबादी, पढ़ें जनसंख्या से जुड़े रोचक तथ्य


 जुलाई माह की 11 तारीख़ को प्रतिवर्ष विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इसी के मद्देनज़र जनसंख्या से जुड़े कुछ रोचक तथ्य यहां प्रस्तुत हैं...



  • 50 लाख जनसंख्या थी दुनिया की 10,000 ईसापूर्व में।
  • 138 करोड़ के आंकड़े को पार कर चुकी है भारतीय जनसंख्या। (अनुमानित)
  • 2000 ईस्वी में विश्व की जनसंख्या दोगुनी होकर 6 अरब पार कर गई। अब हर 12-15 साल में 1 अरब आबादी बढ़ जाती है।




  • 1000 ईस्वी में दुनिया की जनसंख्या क़रीब 40 करोड़ थी।
  • सिंगापुर का जनसंख्या घनत्व 8,000 लोग प्रति वर्ग किमी है, जो अमेरिका से 200 और ऑस्ट्रेलिया से 2,000 गुना अधिक है।
  • 60 प्रतिशत जनसंख्या एशिया में बसती है। जनसंख्या वाले देशों की सूची में शीर्ष पर शामिल चीन, भारत और इंडोनेशिया एशिया में ही हैं।
  • 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 1,21,08,54,977 थी ।
  • 2 अरब 93 करोड़ यूज़र्स हैं फेसबुक पर। यदि फेसबुक देश होता तो जनसंख्या के मामले में दुनिया में अव्वल होता।
  • दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व मोनाको का है जहां प्रतिवर्ग किमी में 26,000 से अधिक लोग रहते हैं।





  • 1951 को पहली बार स्वतंत्र भारत में जनगणना हुई थी।
  • 10 प्रतिशत लोग (कुल जनसंख्या के) पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्द्ध में रहते हैं।
  • 108 अरब लोग अभी तक इस संसार में सांस ले चुके हैं। आज सिर्फ़ इसकी 7 प्रतिशत जनसंख्या दुनिया में मौजूद है।
  • सबसे कम जनसंख्या घनत्व ग्रीनलैंड का है जहां पर प्रति वर्ग किमी क्षेत्र में औसतन 0.03 लोग रहते हैं।
  • 17.72 प्रतिशत आबादी दुनिया की, भारत में निवास करती है।
  • 1804 ईस्वी में इतिहास में पहली बार मनुष्यों की संख्या 1 अरब तक पहुंची। 1960 तक यह संख्या 3 अरब तक पहुंच चुकी थी।
  • 4.2 बच्चों का जन्म प्रति सेकंड हो रहा है दुनिया में।



  • 8 करोड़ 30 लाख जनसंख्या प्रतिवर्ष वैश्विक स्तर पर बढ़ जाती है।
  • 800 लोग रहते हैं वेटिकन सिटी में, जो कि दुनिया का सबसे छोटा देश है।
  • बड़े देशों में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व 1,252 लोग प्रतिवर्ग किमी बांग्लादेश का है यह भारत से तीन गुना अधिक है।

Thursday, July 14, 2022

चीन के रास्ते पर भारत, तेजी से बूढ़ा हो रहा

14 साल में 2.5 करोड़ युवा घट जाएंगे, बुजुर्ग आबादी 5% बढ़ जाएगी

भारत तेजी से बूढ़ा हो रहा है। 14 बरस बाद, यानी 2036 में हर 100 लोगों में से केवल 23 युवा बचेंगे, जबकि 15 लोग बुजुर्ग होंगे। मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लिमेंटेशन की यूथ इन इंडिया 2022 की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। फिलहाल देश के हर 100 लोगों में से 27 युवा और 10 बुजुर्ग हैं|

सबसे पहले यह ग्राफिक देखिए...

2011 में भारत की आबादी 121.1 करोड़ थी। 2021 में136.3 करोड़ पहुंच गई। इसमें 27.3% आबादी युवाओं, यानी 15 से 29 साल की आयु वालों की है। इसके मुताबिक भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है।

यूथ इन इंडिया 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2036 तक युवाओं की संख्या भी ढाई करोड़ कम हो जाएगी। फिलहाल देश में युवाओं की आबादी 37.14 करोड़ है। 2036 में घटकर यह 34.55 करोड़ हो जाएगी। देश में इन दिनों 10.1% बुजुर्ग हैं, जो 2036 तक बढ़कर 14.9% हो जाएंगे।

राज्यों की बात करें तो 2011 में युवा आबादी का पीक देखने को मिलता है और इसके बाद इसमें गिरावट शुरू होती है। हालांकि, केरल अपवाद है। केरल में पीक 1991 में ही देखने को मिल गया था। तमिलनाडु में भी 2001 की तुलना में 2011 में युवा आबादी में कमी आई और तब से लगातार गिरावट जारी है।

बिहार और UP में 2021 तक युवा आबादी काफी तेजी से बढ़ी है, लेकिन इसके बाद इसमें कमी आने लगी जो अब तक जारी है। देखा जाए तो आधे से ज्यादा युवा इन 5 राज्यों बिहार, UP, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हैं।

2021 की जनसंख्या के मुताबिक, सबसे कम युवा आबादी वाले राज्य आंध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल हैं।

वहीं लगभग सभी राज्यों में महिला आबादी का अनुपात युवाओं में पुरुष के अनुपात से कम है, लेकिन बुजुर्गों में महिला आबादी का अनुपात पुरुष के अनुपात से अधिक है। इस पैटर्न का प्रमुख कारण देश में महिलाओं की औसत आयु, यानी लाइफ एक्सपेक्टेंसी का ज्यादा होना है।


2011 से 2036 के बीच फर्टिलिटी रेट कम होने और औसत आयु बढ़ने से देश की डेमोग्राफी में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। पिछले दशकों के दौरान सरकार ने भी कम उम्र में शादी करने और बच्चे पैदा करने से रोकने के लिए कई स्कीम्स मसलन- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, मुख्यमंत्री लाडली लॉन्च की। इसका रिजल्ट भी हमारे सामने है। लिटरेसी रेट बढ़ने से भी फर्टिलिटी रेट में कमी आई है।

सैंपल रजिस्ट्रेशन रिपोर्ट यानी SRS 2014-18 के अनुसार, भारत में जन्म के समय एवरेज लाइफ एक्सपेक्टेंसी 69.4 साल है। यानी ज्यादातर भारतीय 69 साल तक जीते हैं। गांव के लोगों में जहां यह 68 साल है, वहीं शहरी लोगों के लिए यह 72.6 साल है। भारत में महिलाओं की एवरेज लाइफ एक्सपेक्टेंसी 70.7 साल और पुरुषों की 68.2 साल है।

अब जानते हैं कि देश और लोगों पर इसका असर क्या होगा

रिपोर्ट कहती है कि भविष्य में बुजुर्गों की आबादी ज्यादा होगी। इससे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और बुजुर्ग लोगों के लिए वेलफेयर स्कीम्स की मांग पैदा होगी।

एक्सपर्ट भी कहते हैं कि बुजुर्गों की आबादी में बढ़ने से सोशल सिक्योरिटी का भी दबाव बढ़ेगा। यानी प्रति एक इंसान पर डिपेंडेंसी ज्यादा होगी। इसलिए सरकार को अगले 4 से 5 सालों में जॉब क्रिएशन में तेजी लानी होगी।

सामाजिक सुरक्षा के मामले में भारत दुनिया के दूसरे देशों से काफी पीछे है। यहां बुजुर्गों की देखभाल की संस्थागत व्यवस्था की कमी है। देश की 70% आबादी को ही किसी न किसी रूप में सामाजिक सुरक्षा हासिल है।

बुजुर्ग अगर आर्थिक रूप से किसी पर डिपेंडेंट नहीं होते तो उससे उनकी स्थिति अच्छी होने का पता चलता है। हालांकि, देश में सिर्फ 26.3% बुजुर्ग ही वित्तीय तौर पर किसी पर डिपेंडेंट नहीं हैं, जबकि 20.3% आंशिक तौर पर दूसरों पर डिपेंडेंट हैं। देश की 53.4% बुजुर्ग आबादी आर्थिक सुरक्षा के लिए पूरी तरह बच्चों पर डिपेंडेंट है। ऐसे में यह बोझ और बढ़ना तय है।