Thursday, July 14, 2022

चीन के रास्ते पर भारत, तेजी से बूढ़ा हो रहा

14 साल में 2.5 करोड़ युवा घट जाएंगे, बुजुर्ग आबादी 5% बढ़ जाएगी

भारत तेजी से बूढ़ा हो रहा है। 14 बरस बाद, यानी 2036 में हर 100 लोगों में से केवल 23 युवा बचेंगे, जबकि 15 लोग बुजुर्ग होंगे। मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लिमेंटेशन की यूथ इन इंडिया 2022 की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। फिलहाल देश के हर 100 लोगों में से 27 युवा और 10 बुजुर्ग हैं|

सबसे पहले यह ग्राफिक देखिए...

2011 में भारत की आबादी 121.1 करोड़ थी। 2021 में136.3 करोड़ पहुंच गई। इसमें 27.3% आबादी युवाओं, यानी 15 से 29 साल की आयु वालों की है। इसके मुताबिक भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है।

यूथ इन इंडिया 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2036 तक युवाओं की संख्या भी ढाई करोड़ कम हो जाएगी। फिलहाल देश में युवाओं की आबादी 37.14 करोड़ है। 2036 में घटकर यह 34.55 करोड़ हो जाएगी। देश में इन दिनों 10.1% बुजुर्ग हैं, जो 2036 तक बढ़कर 14.9% हो जाएंगे।

राज्यों की बात करें तो 2011 में युवा आबादी का पीक देखने को मिलता है और इसके बाद इसमें गिरावट शुरू होती है। हालांकि, केरल अपवाद है। केरल में पीक 1991 में ही देखने को मिल गया था। तमिलनाडु में भी 2001 की तुलना में 2011 में युवा आबादी में कमी आई और तब से लगातार गिरावट जारी है।

बिहार और UP में 2021 तक युवा आबादी काफी तेजी से बढ़ी है, लेकिन इसके बाद इसमें कमी आने लगी जो अब तक जारी है। देखा जाए तो आधे से ज्यादा युवा इन 5 राज्यों बिहार, UP, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हैं।

2021 की जनसंख्या के मुताबिक, सबसे कम युवा आबादी वाले राज्य आंध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल हैं।

वहीं लगभग सभी राज्यों में महिला आबादी का अनुपात युवाओं में पुरुष के अनुपात से कम है, लेकिन बुजुर्गों में महिला आबादी का अनुपात पुरुष के अनुपात से अधिक है। इस पैटर्न का प्रमुख कारण देश में महिलाओं की औसत आयु, यानी लाइफ एक्सपेक्टेंसी का ज्यादा होना है।


2011 से 2036 के बीच फर्टिलिटी रेट कम होने और औसत आयु बढ़ने से देश की डेमोग्राफी में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। पिछले दशकों के दौरान सरकार ने भी कम उम्र में शादी करने और बच्चे पैदा करने से रोकने के लिए कई स्कीम्स मसलन- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, मुख्यमंत्री लाडली लॉन्च की। इसका रिजल्ट भी हमारे सामने है। लिटरेसी रेट बढ़ने से भी फर्टिलिटी रेट में कमी आई है।

सैंपल रजिस्ट्रेशन रिपोर्ट यानी SRS 2014-18 के अनुसार, भारत में जन्म के समय एवरेज लाइफ एक्सपेक्टेंसी 69.4 साल है। यानी ज्यादातर भारतीय 69 साल तक जीते हैं। गांव के लोगों में जहां यह 68 साल है, वहीं शहरी लोगों के लिए यह 72.6 साल है। भारत में महिलाओं की एवरेज लाइफ एक्सपेक्टेंसी 70.7 साल और पुरुषों की 68.2 साल है।

अब जानते हैं कि देश और लोगों पर इसका असर क्या होगा

रिपोर्ट कहती है कि भविष्य में बुजुर्गों की आबादी ज्यादा होगी। इससे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और बुजुर्ग लोगों के लिए वेलफेयर स्कीम्स की मांग पैदा होगी।

एक्सपर्ट भी कहते हैं कि बुजुर्गों की आबादी में बढ़ने से सोशल सिक्योरिटी का भी दबाव बढ़ेगा। यानी प्रति एक इंसान पर डिपेंडेंसी ज्यादा होगी। इसलिए सरकार को अगले 4 से 5 सालों में जॉब क्रिएशन में तेजी लानी होगी।

सामाजिक सुरक्षा के मामले में भारत दुनिया के दूसरे देशों से काफी पीछे है। यहां बुजुर्गों की देखभाल की संस्थागत व्यवस्था की कमी है। देश की 70% आबादी को ही किसी न किसी रूप में सामाजिक सुरक्षा हासिल है।

बुजुर्ग अगर आर्थिक रूप से किसी पर डिपेंडेंट नहीं होते तो उससे उनकी स्थिति अच्छी होने का पता चलता है। हालांकि, देश में सिर्फ 26.3% बुजुर्ग ही वित्तीय तौर पर किसी पर डिपेंडेंट नहीं हैं, जबकि 20.3% आंशिक तौर पर दूसरों पर डिपेंडेंट हैं। देश की 53.4% बुजुर्ग आबादी आर्थिक सुरक्षा के लिए पूरी तरह बच्चों पर डिपेंडेंट है। ऐसे में यह बोझ और बढ़ना तय है।